July 19, 2011



मेरे एक दोस्त ने मुझे आज कहा "शेफाली जी 'तुझसे नाराज़ नहीं जिंदगी,
हैरान हूँ मैं......' इन पंक्तियों को अपने अंदाज़ में पूरा कीजिये"
तो जो लिखा वो आप सब के साथ बाँट रही हूँ




तुझसे नाराज़ नहीं जिंदगी,
हैरान हूँ मैं
तेरी हर जिद्द पे आज
नीलाम हूँ मैं,
तू जो चाहे वही सफ़र हो मेरा
तेरी ही मंजिल के निशान हूँ मैं..............

14 comments:

  1. इतनी चाहत इतनी शिद्दत
    वैसे आज के समय मे ऐसा अपवाद ही है
    आज के दौर मे तो .....
    तुझसे नाराज़ नहीं जिंदगी,
    हैरान हूँ मैं
    तेरे दौलत की चमक से
    परेशां हूँ मैं
    की तरह की सोच प्रायः पाई जा रही है

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  2. इतनी चाहत इतनी शिद्दत
    वैसे आज के समय मे ऐसा अपवाद ही है
    आज के दौर मे तो .....
    तुझसे नाराज़ नहीं जिंदगी,
    हैरान हूँ मैं
    तेरे दौलत की चमक से
    परेशां हूँ मैं
    की तरह की सोच प्रायः पाई जा रही है

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  3. sahi kaha alok ji

    duniya paisa paisa karti hai :)

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  4. aapki har post lajawaab hai....
    aur
    likhne andaz juda....kam shabdon men kafi kuchh kahna ...kamaal hai....
    achha laga...
    badhai....

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  5. @ sangeeta didi
    thanks i'll be waiting

    @ kumar
    shkriya

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  6. बहुत सुन्दर रचना !
    हार्दिक शुभकामनायें....

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  7. kya likhu, apki rachnao par kuchh likhna suraj ko diya dikhane jaisa hai.

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  8. @ शरद सिंह
    शुक्रिया

    @ सुमित जी
    इस रचना का श्रेय तो आपको जाता है

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  9. वाह! क्या समर्पण का अंदाज है.
    गीत के बोलों को सुन्दर रूप दिया है आपने.

    इस प्रस्तुति के लिए बधाई.

    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.

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  10. दिल की गहराईयों को छूने वाली बेहद खूबसूरत उम्दा रचना

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  11. ji bahut achcha aapne apne shabdo ke madham se jindgi ke mane itne saral shabdo main uker diye !
    thank

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आपके अनमोल वक़्त के लिए धन्यवाद्
आशा है की आप यूँ ही आपना कीमती वक़्त देते रहेंगे