शब्दों से खेलना बचपन में सीखाया जाता है
मैंने भी सीखा, पहले अक्षरों से शब्द बनाना, फिर शब्दों से वाक्य बनाना,
पर एक चीज़ जो और सीखी वो था शब्दों को एक सार में पिरोना, मैंने तो कुछ खास नहीं किया पर लोग कहते हैं की मेरे द्वारा पिरोये गए शब्द कविताओं की श्रंखला बन जाते हैं
और आज मेरे इन्ही शब्दों से मेरी पहचान है
September 07, 2011
अधूरे सपने
सुनो, आज सफाई करते हुए मुझे कुछ पुराने सपने मिले कुछ आधे अधूरे कुछ अनछुए से कोरे देखो, रखे रखे कितनी धूल जम गयी है इनमे आओ, इस धूल को झाड पोंछ कर इन सपनो को फिर से आँखों में सजाएँ
सपने ही साथ होते है हमेशा से... बहुत अच्छी नज़्म ..
आपको बधाई !! आभार विजय ----------- कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
mere bhi sapne kuchh adhure se pade hain kahin aur main unke sath nyay nahi kar pa raha tha ......shayad ab unke liye kuchh kar saku. antarik unmesh ko jagane ke liye shukraguzar rahunga apka. dhanyawad.
बहुत ही प्यारे अहसास से बुनी बहुत ही प्यारी पंक्तियाँ.
ReplyDeleteशुक्रिया संजय जी
ReplyDeletePurane Samay me bapas jana ek sukhad ahsas hota hai hamesha.
ReplyDeleteसपने....आँखों में सजते....आँखों में उजड़ते....सपने....
ReplyDeletebahut pyaari rachna ...
ReplyDeleteसुन्दर ,सुकोमल रचना ...यूँ ही सजाती रहिये ख्वाब आँखों में...
ReplyDeleteबेहतरीन।
ReplyDeleteसादर
सपने ही साथ होते है हमेशा से... बहुत अच्छी नज़्म ..
ReplyDeleteआपको बधाई !!
आभार
विजय
-----------
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
बहुत ही प्यारा ख्याल्।
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही बढि़या ...।
ReplyDeleteबहुत बहुत खूबसूरत कविता शेफाली...शब्द नहीं हैं मेरे पास तारीफ़ के लिए...too good dear.
ReplyDeleteगहरे भाव।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति।
शुभकामनाएं...........
बहुत ही खूबसूरत कविता बिलकुल इलाहाबादी रंग बधाई और शुभकामनाएं शेफाली जी
ReplyDeleteआप सब का शुक्रिया
ReplyDeletemere bhi sapne kuchh adhure se pade hain kahin aur main unke sath nyay nahi kar pa raha tha ......shayad ab unke liye kuchh kar saku. antarik unmesh ko jagane ke liye shukraguzar rahunga apka.
ReplyDeletedhanyawad.
बहुत अच्छा प्रयास मेरी बधाई स्वीकार करें|
ReplyDeleteआपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत है |आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आई हूँ |
आशा
beautiful.......
ReplyDeleteहौसलाफजाई के लिए आप सब का बहुत बहुत शुक्रिया
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteआपके ब्लाग पर पहली बार आया हूं, अच्छा लगा। ये जानकर और भी कि आप इलाहाबाद से हैं।
मन में संकल्प
ReplyDeleteदिल में एहसास
कुछ पाने
कुछ कर गुजरने का
विस्वास
तुम हो विशेष
यही है तुम्हारी विशेषता
लगे हर इच्छा जब कहने
यही तो हैं
आँखों में सपने
सपनों का क्या है ..कभी टूटते हैं कभी बिखरते हैं ....लेकिन इन्हें दुबारा सजाने में क्या हर्ज है ....बहुत सुंदर भाव ....शुभकामनायें
ReplyDeleteअच्छी सोच है आपकी.
ReplyDeleteभावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
हाँ यह भी ज़रूरी है.. पुराने छोटे से पर प्यार से सपनों को पूरा करने की ख़ुशी ही कुछ और होगी...
ReplyDeleteसपनो को नया करने का आपका प्रयास अच्छा लगा , मगर इनको टूटने से बचन हैं , अच्छी लगी रचना .......
ReplyDeleteअच्छी कविता... बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteसपनों से ही हकीकत को सजाने की प्रेरणा मिलाती है.बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteबहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteअच्छी रचना के लिए बधाई
ReplyDeleteआशा
हौसलाफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया
ReplyDeleteखूबसूरत ख़याल
ReplyDeleteखुबसूरत... क्या बात है...
ReplyDeleteसादर...
नए पोस्ट के तलाश में आपके ब्लॉग पे आया था. कृपया नया पोस्ट शीघ्र प्रकाशित करें
ReplyDelete-------------------------------
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
ड्रैकुला को खून चाहिए, कृपया डोनेट करिये !! - पार्ट 1
आओ
ReplyDeleteइन सपनो को
फिर से आँखों में सजाएँ ....
आशावादी सोच को
सार्थक शब्द दिए हैं आपने ...
अछा काव्य !
Bahut khoob bhav
ReplyDeleteआपको मेरी तरफ से नवरात्री की ढेरों शुभकामनाएं.. माता सबों को खुश और आबाद रखे..
ReplyDeleteजय माता दी..
feelings very beautifully rendred
ReplyDeleteबेहतरीन भाव संयोजन
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति