
तुम कवितायें कैसे लिखते हो
कहाँ से तोड़ लाते हो
ये कलियों से महकते शब्द
कौन कुँए से भर लाते हो
एहसास की गगरी
और पूरी गागर उड़ेल कर
भर देते हो रचनाओं में रस
मुझको वो बगिया दिखा दो
उस कुँए से पहचान करा दो
मैं भी हवा में उड़ना चाहती हूँ
पहाड़ नदी झरनों से
बातें करना चाहती हूँ
मैं भी तुम्हारी ही तरह
रिश्ते गढ़ना चाहती हूँ
बहुत खूब शेफाली...बेहद सुन्दर रचना....
ReplyDeleteबहुत अच्छे !!!
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर शेफाली जी |
ReplyDeleteबहुत सुंदर शेफाली जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर शेफाली जी
ReplyDeleteभावों की सुंदर अभिव्यक्ति ......
ReplyDeleteमन के कुँएं से भरती है एहसास की गगरी ...सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteभावों की वाकई बहुत सुंदर उडान भरी है शैफाली ने।
ReplyDeleteबहुत बढिया
बहुत ही बढि़या ।
ReplyDeleteवाह वाह कितना सुन्दर सृजन किया है।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति.............
ReplyDeleteआभार................
काश हर कोई ऐसे ही कहता....
ReplyDeleteवाह,क्या बात है.
ReplyDeleteमन से उपजी बहुत मार्मिक, बहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteहौसलाफजाई के लिए आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया
ReplyDeleteप्रभावी रचना ....
ReplyDeleteशुभकामनायें !
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर का एक गीत सुना था : तुमि केमोन कोरे गान कोरो हे गुनि (हे गुणवान प्रिय, तुम इतना अच्छा गीत कैसे गा लेते हो?) तुम्हारी कविता पढ़कर वही गीत, वही भाव याद आ रहे हैं !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है तुमने ! ऐसे ही "गढ़ती" रहो ! शुभकामनायें ।
Bhavnaao aur abhivyakti ka behtreen taalmel
ReplyDeleteप्यार और स्नेह के लिए सबका धन्यवाद
ReplyDeleteआपका पोस्ट अच्छा लगा । मेर नए पोस्ट ' अपनी पीढी को शब्द देना मामूली बात नही" है पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeletebahut pyaare se bhaw
ReplyDeletekamaal ka likhtin hain aap.....
ReplyDeletebehad khubsurat...Shephali ji...
ReplyDeleteबेहद सुन्दर ब्लॉग और रचनाएं... जैसा आपने ऊपर लिखा है वैसा पाया यहाँ... आपके शब्द बहुत सुन्दर कविता बन जाते है...बधाई
ReplyDeleteशेफाली जी अभिवादन और धन्यवाद . बहुत सुन्दर रचना और निम्न पंक्तियाँ
ReplyDeleteमुझको वो बगिया दिखा दो
उस कुँए से पहचान करा दो
मैं भी हवा में उड़ना चाहती हूँ
पहाड़ नदी झरनों से
बातें करना चाहती हूँ
मैं भी तुम्हारी ही तरह
रिश्ते गढ़ना चाहती हूँ
.भ्रमर का दर्द और दर्पण व् हमारे अन्य ब्लॉग में आप का हार्दिक अभिनन्दन है ....अपना स्नेह बनाये रखें सुझाव और प्रोत्साहन देते रहें -
भ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
बढ़िया . ...
ReplyDeleteस्नेहिल दिल सब सिखा देगा
शुभकामनायें आपको !
Nice Poem...
ReplyDeleteSheelnidhi
www.sheelgupta.blogspot.com
Hi Shephali,
ReplyDeleteVery well written. The more I read your writings, the more I respect your pen - its eloquence is rare in the bloggers' world. Keep pouring in your true thoughts.
Wish all the luck.
Regards,
Chakresh
sundar abhivyakti thanks.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है
ReplyDelete