September 23, 2011

कैसी रचनाएँ















तुम कवितायें कैसे लिखते हो
कहाँ से तोड़ लाते हो
ये कलियों से महकते शब्द
कौन कुँए से भर लाते हो
एहसास की गगरी
और पूरी गागर उड़ेल कर
भर देते हो रचनाओं में रस
मुझको वो बगिया दिखा दो
उस कुँए से पहचान करा दो
मैं भी हवा में उड़ना चाहती हूँ
पहाड़ नदी झरनों से
बातें करना चाहती हूँ
मैं भी तुम्हारी ही तरह
रिश्ते गढ़ना चाहती हूँ



30 comments:

  1. बहुत खूब शेफाली...बेहद सुन्दर रचना....

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  2. बहुत ही सुंदर शेफाली जी |

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  3. बहुत सुंदर शेफाली जी

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  4. बहुत सुंदर शेफाली जी

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  5. भावों की सुंदर अभिव्यक्ति ......

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  6. मन के कुँएं से भरती है एहसास की गगरी ...सुन्दर प्रस्तुति

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  7. भावों की वाकई बहुत सुंदर उडान भरी है शैफाली ने।
    बहुत बढिया

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  8. बहुत ही बढि़या ।

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  9. वाह वाह कितना सुन्दर सृजन किया है।

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  10. बेहतरीन प्रस्‍तुति.............

    आभार................

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  11. काश हर कोई ऐसे ही कहता....

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  12. वाह,क्या बात है.

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  13. मन से उपजी बहुत मार्मिक, बहुत सुन्दर रचना...

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  14. हौसलाफजाई के लिए आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया

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  15. प्रभावी रचना ....
    शुभकामनायें !

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  16. गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर का एक गीत सुना था : तुमि केमोन कोरे गान कोरो हे गुनि (हे गुणवान प्रिय, तुम इतना अच्छा गीत कैसे गा लेते हो?) तुम्हारी कविता पढ़कर वही गीत, वही भाव याद आ रहे हैं !
    बहुत सुन्दर लिखा है तुमने ! ऐसे ही "गढ़ती" रहो ! शुभकामनायें ।

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  17. Bhavnaao aur abhivyakti ka behtreen taalmel

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  18. प्यार और स्नेह के लिए सबका धन्यवाद

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  19. आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेर नए पोस्ट ' अपनी पीढी को शब्द देना मामूली बात नही" है पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  20. बेहद सुन्दर ब्लॉग और रचनाएं... जैसा आपने ऊपर लिखा है वैसा पाया यहाँ... आपके शब्द बहुत सुन्दर कविता बन जाते है...बधाई

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  21. शेफाली जी अभिवादन और धन्यवाद . बहुत सुन्दर रचना और निम्न पंक्तियाँ

    मुझको वो बगिया दिखा दो
    उस कुँए से पहचान करा दो
    मैं भी हवा में उड़ना चाहती हूँ
    पहाड़ नदी झरनों से
    बातें करना चाहती हूँ
    मैं भी तुम्हारी ही तरह
    रिश्ते गढ़ना चाहती हूँ
    .भ्रमर का दर्द और दर्पण व् हमारे अन्य ब्लॉग में आप का हार्दिक अभिनन्दन है ....अपना स्नेह बनाये रखें सुझाव और प्रोत्साहन देते रहें -
    भ्रमर ५
    बाल झरोखा सत्यम की दुनिया

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  22. बढ़िया . ...
    स्नेहिल दिल सब सिखा देगा
    शुभकामनायें आपको !

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  23. Nice Poem...

    Sheelnidhi
    www.sheelgupta.blogspot.com

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  24. Hi Shephali,

    Very well written. The more I read your writings, the more I respect your pen - its eloquence is rare in the bloggers' world. Keep pouring in your true thoughts.

    Wish all the luck.

    Regards,
    Chakresh

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  25. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है

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आपके अनमोल वक़्त के लिए धन्यवाद्
आशा है की आप यूँ ही आपना कीमती वक़्त देते रहेंगे