शब्दों से खेलना बचपन में सीखाया जाता है
मैंने भी सीखा, पहले अक्षरों से शब्द बनाना, फिर शब्दों से वाक्य बनाना,
पर एक चीज़ जो और सीखी वो था शब्दों को एक सार में पिरोना, मैंने तो कुछ खास नहीं किया पर लोग कहते हैं की मेरे द्वारा पिरोये गए शब्द कविताओं की श्रंखला बन जाते हैं
और आज मेरे इन्ही शब्दों से मेरी पहचान है
July 04, 2014
बागबान
तेरी खुशबू से महकता है मन मेरा आज भी तू ना जाने कब मेरा बागबान बन बैठा
आता है एक दिन सभी का ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..
nice ......!!!!!
ReplyDeleteशुक्रिया
ReplyDeleteबहुत ही खूब
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