June 26, 2014



साँसों की टूटती लड़ियाँ
रिश्तों की चटकती कड़ियाँ
संभालोगे ना तो बिखर जाएँगी
रेट की तरह हाथों से फिसल जाएंगी
सातों आसमान सा विशाल लगता है
रिश्तों का हर मंज़र सवाल लगता है
ज़िन्दगी के आँचल तले
पलते रहेंगे ये
हमारे बनाये साँचें में
ढलते रहेंगे ये
सारे सवालों के जवाब ढूँढना
कानों में गूंजती आवाज़ ढूँढना
एक साथी की तलाश हो गर तो
मुझे तुम अपने आस पास ढूँढना