May 20, 2011

मेरा जहाँ


मैं जानती हूँ तुम्हारी नज़रों में
मेरी कोई पहचान नहीं
तुम्हारी
दौड़ती भागती ज़िन्दगी में
मेरी चाल बहुत धीमी है
मैं
जानती हूँ शायद कभी भी
तुम्हारे साथ नहीं चल पाऊँगी
मैं
तुम्हारे लिए एक ज़र्रा

एक
कतरे से ज्यादा
कुछ भी नहीं
पर
आ के देखो

यहाँ
मेरा अपना आसमान है

एक
टुकड़ा ज़मीन मेरी है

यहाँ
के पेड पौधे
मुझे पहचानते हैं
यहाँ
अब भी बारिश होती है

यहाँ के फूलों में खुशबू अब भी बाकी है
यहाँ
सूरज भी मेरा सानी है
हाँ तुम्हारी दुनिया से
बस
एक कदम दूर

मेरा
अपना एक जहाँ है.............


May 12, 2011

रिश्ता





एक सुन्दर चिकनी माटी सा रिश्ता
विश्वास के चकले पर जब सजाया जाता है
पल पल कुम्हार संस्कार के पानी संग
उसे
एक सचल आकार देता है
कुछ रिश्ते टूटते भी हैं
कुछ
यूँ ही चटक जाते हैं
कुछ अकार ही नहीं ले पाते
और माटी में ही विलीन हो जाते हैं,
बस कुछ ही विरले होते हैं
जो
वक़्त की आग में पकते हैं
मज़बूत हो जाते हैं
और
आने वाले हर पल को
सुवासित करते हैं
- शेफाली