November 08, 2010

पत्थर के निवाले



एक नयी बनती कोठी
वहां काम करती एक मजदूर माँ
और माटी के ढेर से खेलता
उसका अबोध बालक
अचानक उठा एक इंट
मुह में धर लिया उसने
माँ ने देखा, मुस्कुराई
और मैं सोचती रह गयी
कैसे हज़म कर लेते हैं ये बच्चे
इंट, कंकड़, पत्थर सब..........
- शेफाली

9 comments:

  1. सुंदर अभिव्यक्ति..!!

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  2. नयी-पुरानी हलचल से आपका लिंक मिला.

    संवेदना से भरी मार्मिक रचना है आपकी...हार्दिक बधाई।

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  3. मन को स्पर्श करती अति भावपूर्ण रचना....

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  4. आप सब का शुक्रिया

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  5. Bahut sundar abhivyakti shefali ji.

    Apki sundar kavita ke sath mujhe apni kuchh panktiyan yaad aa gayi.

    Chahat inme bhi hai

    My Blog: Life is just a Life
    .

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आपके अनमोल वक़्त के लिए धन्यवाद्
आशा है की आप यूँ ही आपना कीमती वक़्त देते रहेंगे