आँखों में बंधे एक की
जब कुछ गांठें खोली तो
हवा का एक खुशबूदार झोंका
पलकों पर बिखरी बूंदों को सुखा गया
उम्मीद की एक किरण जगमगाई
जैसे ज़िन्दगी एक मुट्ठी सांसें लेकर
मरते हुए किसी इंसान के पास आई
और अपनी नन्ही कोमल मुट्ठियों में बंद
सागर की मीठी लहरें
किसी प्यासे पर बरसाई
उस गांठ को खोल कर मैंने
खुद को वापस पाया है
ऐसा लगा की दिल के हजारों सपने
अंगडाई ले कर उठ खड़े हुए
और पूरब के सूर्य की भांति
किरणे फैलाते हुए
हकीक़त की धरती पर कदम रखने लगे
और उन सपनो के उजाले
अंतर्मन के तम को
खत्म करने लगे
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आपके अनमोल वक़्त के लिए धन्यवाद्
आशा है की आप यूँ ही आपना कीमती वक़्त देते रहेंगे