शब्दों से खेलना बचपन में सीखाया जाता है
मैंने भी सीखा, पहले अक्षरों से शब्द बनाना, फिर शब्दों से वाक्य बनाना,
पर एक चीज़ जो और सीखी वो था शब्दों को एक सार में पिरोना, मैंने तो कुछ खास नहीं किया पर लोग कहते हैं की मेरे द्वारा पिरोये गए शब्द कविताओं की श्रंखला बन जाते हैं
और आज मेरे इन्ही शब्दों से मेरी पहचान है
भावनात्मक रूप से.. एक मीठा सा दर्द.. तकनीकी रूप से.. सधे हुए श्ब्द साहित्यिक रूप से.. सुन्दर लघु कविता
कुल मिला कर आप के शब्द हृदय की भावनाओं के भँवर में घूम रहे हैं । अच्छी बात है.. घूमने दीजिये.. बहुत पहले हमने लिखा था, उसका एक हिस्सा: जो उम्र भर तकसीन हो तो क्या मज़ा जालिम, कुछ रात जरा दर्द के बिस्तर पे सोइये, वीरान सी आँखों को कभी दीजिये बहने, छलकाइये दिल को कभी, तकिये भिगोइये...
भावनात्मक रूप से.. एक मीठा सा दर्द.. तकनीकी रूप से.. सधे हुए श्ब्द साहित्यिक रूप से.. सुन्दर लघु कविता
कुल मिला कर आप के शब्द हृदय की भावनाओं के भँवर में घूम रहे हैं । अच्छी बात है.. घूमने दीजिये.. बहुत पहले हमने लिखा था, उसका एक हिस्सा: जो उम्र भर तकसीन हो तो क्या मज़ा जालिम, कुछ रात जरा दर्द के बिस्तर पे सोइये, वीरान सी आँखों को कभी दीजिये बहने, छलकाइये दिल को कभी, तकिये भिगोइये...
shbad........ yeh shbad he toh hai jo thak har ke bhi .duniya ke shor may bhi har pal sath dete hai hmara. apno ka dard btate hai.toh khbhi kisi rote ko haste hai.bas enka shi istmal karna aana chahiye yeh toh khuda ko bhi zmin par ane ko besas kar skte hai.
kai baar shabd yun hi hare thake se baith jate hain, fafakte hain ...per hum bhawnaaon ke sparsh se unko sukun se bhar dete hain...hai na?
ReplyDeleteहोता है कभी धुप कभी छाव
ReplyDeleteवैसे भी थकन तो उसे ही महसूस होती है जिसमे जीवन हो
और जीवन है तो फिर से उर्जा मिलेगी
और फिर स्फूर्ति वापस आ जाएगी
भावनात्मक रूप से.. एक मीठा सा दर्द..
ReplyDeleteतकनीकी रूप से.. सधे हुए श्ब्द
साहित्यिक रूप से.. सुन्दर लघु कविता
कुल मिला कर आप के शब्द हृदय की भावनाओं के भँवर में घूम रहे हैं । अच्छी बात है.. घूमने दीजिये..
बहुत पहले हमने लिखा था, उसका एक हिस्सा:
जो उम्र भर तकसीन हो तो क्या मज़ा जालिम,
कुछ रात जरा दर्द के बिस्तर पे सोइये,
वीरान सी आँखों को कभी दीजिये बहने,
छलकाइये दिल को कभी, तकिये भिगोइये...
भावनात्मक रूप से.. एक मीठा सा दर्द..
ReplyDeleteतकनीकी रूप से.. सधे हुए श्ब्द
साहित्यिक रूप से.. सुन्दर लघु कविता
कुल मिला कर आप के शब्द हृदय की भावनाओं के भँवर में घूम रहे हैं । अच्छी बात है.. घूमने दीजिये..
बहुत पहले हमने लिखा था, उसका एक हिस्सा:
जो उम्र भर तकसीन हो तो क्या मज़ा जालिम,
कुछ रात जरा दर्द के बिस्तर पे सोइये,
वीरान सी आँखों को कभी दीजिये बहने,
छलकाइये दिल को कभी, तकिये भिगोइये...
shbad........ yeh shbad he toh hai jo thak har ke bhi .duniya ke shor may bhi har pal sath dete hai hmara. apno ka dard btate hai.toh khbhi kisi rote ko haste hai.bas enka shi istmal karna aana chahiye yeh toh khuda ko bhi zmin par ane ko besas kar skte hai.
ReplyDelete@ rashmi didi
ReplyDeletesahi kaha aur isi tarah shabdon ki kahanii banti hai
@ alok ji
ji haan, dhanyawad.
@ niraj ji
thanks
@ Isha
ji bilkul, shabd bahut badi cheez hain, sahi to swarg aur galat to zindagi jahhanumm bana dete hain