May 27, 2010


मेरे शब्द आज बीमार हैं,

तबियत कुछ भारी सी है,

आज खिलखिलाते नहीं,

न जाने क्यूँ रो रहे हैं,

कहीं दर्द है शायद.....




6 comments:

  1. kai baar shabd yun hi hare thake se baith jate hain, fafakte hain ...per hum bhawnaaon ke sparsh se unko sukun se bhar dete hain...hai na?

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  2. होता है कभी धुप कभी छाव
    वैसे भी थकन तो उसे ही महसूस होती है जिसमे जीवन हो
    और जीवन है तो फिर से उर्जा मिलेगी
    और फिर स्फूर्ति वापस आ जाएगी

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  3. भावनात्मक रूप से.. एक मीठा सा दर्द..
    तकनीकी रूप से.. सधे हुए श्ब्द
    साहित्यिक रूप से.. सुन्दर लघु कविता

    कुल मिला कर आप के शब्द हृदय की भावनाओं के भँवर में घूम रहे हैं । अच्छी बात है.. घूमने दीजिये..
    बहुत पहले हमने लिखा था, उसका एक हिस्सा:
    जो उम्र भर तकसीन हो तो क्या मज़ा जालिम,
    कुछ रात जरा दर्द के बिस्तर पे सोइये,
    वीरान सी आँखों को कभी दीजिये बहने,
    छलकाइये दिल को कभी, तकिये भिगोइये...

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  4. भावनात्मक रूप से.. एक मीठा सा दर्द..
    तकनीकी रूप से.. सधे हुए श्ब्द
    साहित्यिक रूप से.. सुन्दर लघु कविता

    कुल मिला कर आप के शब्द हृदय की भावनाओं के भँवर में घूम रहे हैं । अच्छी बात है.. घूमने दीजिये..
    बहुत पहले हमने लिखा था, उसका एक हिस्सा:
    जो उम्र भर तकसीन हो तो क्या मज़ा जालिम,
    कुछ रात जरा दर्द के बिस्तर पे सोइये,
    वीरान सी आँखों को कभी दीजिये बहने,
    छलकाइये दिल को कभी, तकिये भिगोइये...

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  5. shbad........ yeh shbad he toh hai jo thak har ke bhi .duniya ke shor may bhi har pal sath dete hai hmara. apno ka dard btate hai.toh khbhi kisi rote ko haste hai.bas enka shi istmal karna aana chahiye yeh toh khuda ko bhi zmin par ane ko besas kar skte hai.

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  6. @ rashmi didi
    sahi kaha aur isi tarah shabdon ki kahanii banti hai


    @ alok ji
    ji haan, dhanyawad.

    @ niraj ji
    thanks

    @ Isha
    ji bilkul, shabd bahut badi cheez hain, sahi to swarg aur galat to zindagi jahhanumm bana dete hain

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आपके अनमोल वक़्त के लिए धन्यवाद्
आशा है की आप यूँ ही आपना कीमती वक़्त देते रहेंगे