May 12, 2011

रिश्ता





एक सुन्दर चिकनी माटी सा रिश्ता
विश्वास के चकले पर जब सजाया जाता है
पल पल कुम्हार संस्कार के पानी संग
उसे
एक सचल आकार देता है
कुछ रिश्ते टूटते भी हैं
कुछ
यूँ ही चटक जाते हैं
कुछ अकार ही नहीं ले पाते
और माटी में ही विलीन हो जाते हैं,
बस कुछ ही विरले होते हैं
जो
वक़्त की आग में पकते हैं
मज़बूत हो जाते हैं
और
आने वाले हर पल को
सुवासित करते हैं
- शेफाली

14 comments:

  1. शेफाली जी
    नमस्कार !
    ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

    ReplyDelete
  2. आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

    ReplyDelete
  3. संजय जी आपका बहुत शुक्रिया

    ReplyDelete
  4. कुछ ही विरले होते हैं
    जो वक़्त की आग में पकते हैं
    मज़बूत हो जाते हैं ... waqt ki aag me nikharnewale kam hi hote hain

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति बधाई शेफाली जी

    ReplyDelete
  6. @ rashmi di- thanks

    @ jaykrishan rai Thanks sir

    ReplyDelete
  7. @ mridula di
    bahut bahut shukriya....

    ReplyDelete
  8. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति बधाई शेफाली जी

    ReplyDelete
  9. बहुत आभार......

    ReplyDelete
  10. बहुत खूब ...बढ़िया अंदाज़ रहा आपका ..आभार......

    ReplyDelete
  11. सत्य लिखा है.. हर रिश्ता फलता-फूलता नहीं.. कुछ ही अपनी मंजिल तक पहुँच पाते हैं...

    ReplyDelete

आपके अनमोल वक़्त के लिए धन्यवाद्
आशा है की आप यूँ ही आपना कीमती वक़्त देते रहेंगे