एक सुन्दर चिकनी माटी सा रिश्ता
विश्वास के चकले पर जब सजाया जाता है
पल पल कुम्हार संस्कार के पानी संग
उसे एक सचल आकार देता है
कुछ रिश्ते टूटते भी हैं
कुछ यूँ ही चटक जाते हैं
कुछ अकार ही नहीं ले पाते
और माटी में ही विलीन हो जाते हैं,
बस कुछ ही विरले होते हैं
जो वक़्त की आग में पकते हैं
मज़बूत हो जाते हैं
और आने वाले हर पल को
सुवासित करते हैं
- शेफाली
शेफाली जी
ReplyDeleteनमस्कार !
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
ReplyDeleteसंजय जी आपका बहुत शुक्रिया
ReplyDeleteकुछ ही विरले होते हैं
ReplyDeleteजो वक़्त की आग में पकते हैं
मज़बूत हो जाते हैं ... waqt ki aag me nikharnewale kam hi hote hain
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति बधाई शेफाली जी
ReplyDelete@ rashmi di- thanks
ReplyDelete@ jaykrishan rai Thanks sir
bahut achchi lagi.
ReplyDelete@ mridula di
ReplyDeletebahut bahut shukriya....
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति बधाई शेफाली जी
ReplyDeleteबहुत आभार......
ReplyDeleteबहुत खूब ...बढ़िया अंदाज़ रहा आपका ..आभार......
ReplyDeletethanks amrita ji
ReplyDeleteसत्य लिखा है.. हर रिश्ता फलता-फूलता नहीं.. कुछ ही अपनी मंजिल तक पहुँच पाते हैं...
ReplyDelete@prateek sahi kaha
ReplyDeleteshukriya