कॉफी
वो एक कप कॉफी आज भी याद है मुझे
तुमने पूछा था " कॉफी पीतीं हैं आप "
तब से अब तक कुछ भी तो नहीं बदला
वो कॉफी शॉप आज भी वहीँ हैं
वो कॉर्नर वाली टेबल
भी अपनी जगह पर है
अक्सर वहां जाकर
पीती हूँ तुम्हारी फेवरेट
केपिचिनो
दो चम्मच चीनी के साथ
कुछ भी तो नहीं बदला
न कॉफी शॉप, न कॉफी का स्वाद
बस नहीं है तो
दो चम्मच चीनी की मिठास
और तुम
वो एक कप कॉफी आज भी याद है मुझे
तुमने पूछा था " कॉफी पीतीं हैं आप "
तब से अब तक कुछ भी तो नहीं बदला
वो कॉफी शॉप आज भी वहीँ हैं
वो कॉर्नर वाली टेबल
भी अपनी जगह पर है
अक्सर वहां जाकर
पीती हूँ तुम्हारी फेवरेट
केपिचिनो
दो चम्मच चीनी के साथ
कुछ भी तो नहीं बदला
न कॉफी शॉप, न कॉफी का स्वाद
बस नहीं है तो
दो चम्मच चीनी की मिठास
और तुम
डूब कर लिखी हुई कविता ! एक फ़िल्म का संवाद था: हर किसी को जीवन में एक बार प्यार जरूर करना चाहिये.. प्यार इन्सान को बहुत अच्छा बना देता है !
ReplyDeleteआपके थोड़े से शब्दों में उमड़ी हुई भावनायें इसी ओर इशारा तो नहीं कर रहीं ?
सुन्दर कविता के लिये फ़िर से बधाई !
sach me kuch nahi badla....na tum badle ....naa hum badle....aur na hi un kadwe coffee mein mithas ka wo ahsas.
ReplyDeletewaqt ke jhonkon mein sab badal jaata hai sab wahin rah jata hai..
ReplyDelete@ neeraj ji pyar to bahut bas har ek ka tareeka alag hai
ReplyDelete@ sumit pyar hoti hi aisi cheez hai badalti hi ni :)
@ pratik rehta kuch b nahi sivaye ehsaas ke
bhaiya bawal hain poem
ReplyDelete@ neeraj
ReplyDeletethanks :p
kyuki me ab caffee mocha pita hon and vo to blak coffee hoti hai tum aa jao to cafechino phir se pina start karonga
ReplyDeleteबहुत खुब
ReplyDeleteवाह। बेहतरीन..
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